Hello,
I would like to know that the minimum wages should go in basic head or can we divide in basic+HRA+conveyance.
In my previous company we keep min wages in basic head, but in new company they divide the min wages in three category (i.e. 60% min wages in basic, 30% in HRA & 10% in conveyance.). Which is not correct as per law.
Also the PF Ceiling is 15000 now, so if we divide a salary of 20,000 in above ratio, the basic would be 12000. Hence the employee will be mandatory in PF. IF we increase the basic by 15000, then PF would be optional. So, please advise how to divide the salary in different heads.
Thanks,
Swati

From India, Delhi
boss2966
1168

Dear Swati
Once you have enrolled an employee in EPF, then whether the salary crosses beyond Rs. 15000/- is not considered, you must deduct the PF and remit to EPFO with Employer share. Whoever had the PF Number in their previous organisation, also to be deducted with PF.
Only for the Freshers and drawing above Rs.15000/- can be exempted after obtaining the Form 11 filled and signed by the individual. For supporting the signature please keep the proof of sign (Passport, Driving Licence or Pancard) in which you can have the specimen signature.

From India, Kumbakonam
Thank you for your valuable reply. Please confirm me one thing that the minimum wages amount is mandatory to keep in basic head or can be divided in basic+HRA+conveyance. Please reply me on this.
From India, Delhi
Dear Swati,
We should not bifurcate Min.Wages into Basic+HRA+Conveyance.
It can only be Basic+DA or only Basic. Bifurcating into other components leads to non compliance of statutory, as it is a wrong practice followed by companies to reduce the cost.
Thanks & Regards
Prathap
Senior Executive-HR
Narayana Health.

From India, Madras
साधारणतया प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन का निर्धारण कर्मचारियों के वर्गीकरण के अनुसार होता है और उनका पूरा ब्योरा शासनादेश में होता है कि किस वेतन का कर्मचारी कौन सी श्रेणी में आएगा , और जो वर्गीकरण होता है वो सम्भवतः निम्नलिखित प्रकार से होता है-

अकुशल , अर्धकुशल , कुशल, अतिकुशल, लिपिकीय और इसी के अनुरूप वेतन का निर्धारण किया जाता है , और सब का विवरण कि कौन सा कर्मचारी कौन सी श्रेणी में आएगा और उसका क्या वेतन होगा वो सब सरकार द्वारा निर्धारित शासनादेश में होता है ! अर्थात यदि आप किसी भी कर्मचारी को नियुक्त्त करते हो तो उसका वेतन उसी के अनुरूप देना होगा !

अब यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त्त करते हो जिसका कुल वेतन निर्धारित न्यूनतम वेतन से ज्यादा है और आप उसको विभिन्न मदों में विभाजित करते हैं और उसका बेसिक ( मूल वेतन कि दर ) न्यूनतम वेतन कि दर से काम रखते हैं तो उसके भविष्य निधि खाते में योगदान काम जमा होगा जबकि उससे काम योग्य व्यक्ति का उसी मद में योगदान ज्यादा जमा होगा ! जो कि न्यायोचित नहीं है , बल्कि हास्यपद है !

आप खुद सोंचो कि एक व्यक्ति जो कि डिग्री धारक है उसका वेतन तो ज्यादा है किन्तु अगर भविष्य निधि में उसके योगदान कि बात करें तो उसका योगदान उस व्यक्ति से कम है जो अकुशल श्रेणी में आता है ! अर्थात अगर दोनों कर्मचारी समान अवधि तक एक प्रतिष्ठान में कार्य करें तो भविष्य निधि या अन्य सामाजिक सुरक्षा के मामलों में वह व्यक्ति एक अकुशल व्यक्ति से पीछे रह जायेगा जो कि उचित नहीं है !

एक एच आर होने के नाते कंपनी के बारे में सोंचना अच्छी बात है परन्तु कर्मचारी के साथ खिलवाड़ भी ठीक नहीं है , और इस तरह के माहौल से कम्पनी में भी माहौल ख़राब होगा और प्रतिष्ठान में समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है !

From India, Rudarpur
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